मूल्य नियंत्रण से बाहर रह सकते हैं नए स्टेंट्स

मूल्य नियंत्रण से बाहर रह सकते हैं नए स्टेंट्स

सुमन कुमार

भारत सरकार नए आविष्कार वाले हार्ट स्टेंट्स और नी इंप्लांट्स की कीमतों को मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर रख सकती है। सरकारी सूत्रों ने इस आशय की खबर दी है। भारत सरकार पर इसके लिए अमेरिकी सरकार और मेडिकल लॉबी का बहुत दबाव है। हालांकि पुराने स्टेंट और नी इंप्लांट जैसे मेडिकल उपकरणों की कीमत आने वाले समय में भी सरकार द्वारा नियंत्रित रह सकती है। वैसे अमेरिकी सरकार और मेडिकल उपकरण बनाने वाली कंपनियों का भारत सरकार पर इस बात के लिए भारी दबाव है कि वह पुराने स्टेंट और इंप्लांट की कीमतों को भी मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर कर दे। हालांकि भारत सरकार इस दबाव में आने वाली नहीं है और मरीजों के हित में लागू किए गए मूल्य नियंत्रण को वापस लेने की उसकी फिलहाल कोई मंशा नहीं है। यह बात अमेरिकी सरकार और वहां की मेडिकल लॉबी के सामने भी स्पष्ट कर दी गई है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में इन स्टेंट्स और इंप्लांट्स की कीमतों में भारी कटौती कर दी थी। पहले मरीजों को एन्जियोप्लास्टी के नाम पर मोटी रकम अस्पतालों को चुकानी पड़ती थी जिसमें स्टंट्स की कीमत ही 70000 से ऊपर वसूली जाती थी। कंपनियों की इस खुली लूट पर पिछली मोदी सरकार ने कड़ा नियंत्रण किया था और मरीजों के हित में इनकी कीमत अधिकतम ₹35000 तय कर दी थी। इससे मरीजों को काफी लाभ मिला था और उनके मेडिकल बिल काफी कम होने लगे थे। मगर इस नुकसान से कंपनियां परेशान थी और कई कंपनियों ने तो भारत में अपना कारोबार तक बंद करने की धमकी दे दी थी। हालांकि सरकार इस दबाव में नहीं आई और मेडिकल उपकरणों पर मूल्य नियंत्रण लागू रहा। 

अमेरिकी सरकार लगातार भारत सरकार पर इस बात के लिए दबाव बनाती रही है कि वह मेडिकल उपकरणों पर लागू इस मूल्य नियंत्रण को वापस ले ले। इसके लिए अलग-अलग तरह से दबाव बनाया जाता रहा है। दरअसल भारत में आने वाले 70% मेडिकल उपकरण अमेरिका से ही आते हैं। वहां की मेडिकल लॉबी बहुत ताकतवर है। खुद अमेरिका से पूरी दुनिया में निर्यात होने वाले मेडिकल उपकरणों के कारोबार में भारत की हिस्सेदारी 20 फ़ीसदी की है। जाहिर है इन कंपनियों के लिए भारत बहुत बड़ा बाजार है। मगर मूल्य नियंत्रण की भारत सरकार की इस नीति के कारण उनका मुनाफा घट गया है और वह किसी भी तरह इसे बढ़ाना चाहते हैं। 

दूसरी ओर भारत सरकार की समस्या यह है कि देश में गरीबों की आबादी बहुत ज्यादा है जो मेडिकल उपकरणों पर बहुत अधिक खर्च नहीं कर सकते। इसके कारण सरकार को अपनी इस जनता का ख्याल भी रखना होता है। दूसरी ओर सरकार खुद पर या ठप्पा भी नहीं लगने देना चाहती कि वह कारोबार विरोधी है। ऐसे में सरकार के सामने या चुनौती है कि वह उद्योगों की मांग पूरी करते हुए जनता के हितों को भी ध्यान में रखे। 

आयुष्मान भारत योजना लागू होने के बाद सरकार के सामने एक मुसीबत और बढ़ गई है कि गरीब जनता के इलाज का खर्च खुद सरकार को वहन करना है। ऐसे में मेडिकल उपकरणों के मूल्य पर यदि नियंत्रण नहीं हुआ और कंपनियों को मनमाना दाम तय करने की छूट दी गई तो मरीजों के इलाज का खर्च बढ़ जाएगा और आखिरकार यह बोझ सरकार पर ही आएगा। इस चुनौती को देखते हुए भी सरकार पुराने उपकरणों पर तो कम से कम मूल्य नियंत्रण से छूट नहीं ही देगी। 

अभी जब भारत और अमेरिका के वाणिज्य विभागों की एक बैठक हुई तो इसके लिए भी भारतीय पक्ष में अपनी ओर से पूरी तैयारी की। दरअसल मूल्य नियंत्रण हटाने की अमेरिकी दबाव को देखते हुए भारत सरकार के सामने अमेरिका से किसी समझौते पर पहुंचने का दबाव है। इसलिए अमेरिका रवाना होने से पहले भारत में वाणिज्य मंत्रालय, नीति आयोग, ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया, मरीजों के प्रतिनिधियों एवं स्वास्थ्य क्षेत्र के विशेषज्ञों में गहन विचार-विमर्श हुआ जिसमें यह तय किया गया कि सभी के हितों को साधते हुए अमेरिका के साथ किस तरह का समझौता किया जा सकता है। बताया जाता है कि इसी के बाद यह तय हुआ कि नए अविष्कार वाले स्टैंटों और इंप्लांट्स की कीमतों को फिलहाल मूल्य नियंत्रण के दायरे से बाहर रखा जाए। भारतीय पक्ष ने अमेरिकी पक्ष को यह प्रस्ताव भी दिया है कि वह मूल्य पर सीधे नियंत्रण करने की बजाय कंपनियों के मुनाफे में कटौती का फार्मूला लागू कर सकती है।

हालांकि इस फार्मूले पर विशेषज्ञों को आपत्ति है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि मुनाफे में कटौती का फार्मूला कारगर नहीं हो सकता क्योंकि तब कंपनियां पहले ही अपने उत्पाद की कीमतें बढ़ा चढ़ाकर रखेंगी और उसमें थोड़ी बहुत कटौती होने पर भी उनके मुनाफे में कोई फर्क नहीं पड़ेगा। इस अधिकारी के अनुसार जब तक यह तय ना हो कि किसी उत्पाद की लागत कितनी है तब तक वाजिब मुनाफे का निर्धारण नहीं हो सकता। इसलिए मरीजों के हित में यह जरूरी है कि सरकार किसी भी उत्पाद की कीमत तय करने में उसकी लागत का ख्याल जरूर रखे।

 

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